न बदली वक़्त की गर्दिश न ज़माना बदला,
जब सूख गई पेड़ की डाली, तो परिंदों ने
ठिकाना बदला, जिंदगी की हक़ीक़त को बस
हमने इतना ही जाना है। दर्द मे अकेले हैं।
और खुशियों मे सारा ज़माना है।
न बदली वक़्त की गर्दिश न ज़माना बदला,
जब सूख गई पेड़ की डाली, तो परिंदों ने
ठिकाना बदला, जिंदगी की हक़ीक़त को बस
हमने इतना ही जाना है। दर्द मे अकेले हैं।
और खुशियों मे सारा ज़माना है।