अगर आप किसी को नमस्कार यह सोचकर कर रहे हो
कि वो भी आपको करेगा तो वो नमस्कार व्यर्थ है
क्योंकि नमस्कार संस्कार की वजह से किया जाता है
अहंकार की वजह से नहीं
प्रतिदिन सुप्रभात करने का यही एक आशय है
कि मुलाक़ात चाहे जब भी हो अपनेपन का अहसास
प्रतिदिन महसूस होता रहे