बीज की यात्रा वृक्ष तक है
नदी की यात्रा सागर तक है
मनुष्य की यात्रा परमात्मा तक है
संसार में जो कुछ भी हो रहा है
वह सब ईश्वरीय विधान है
हम और आप तो केवल निमित्त मात्र है
इसीलिये कभी भी ये भ्रम न पालें कि मैं
न होता तो क्या होता!
बीज की यात्रा वृक्ष तक है
नदी की यात्रा सागर तक है
मनुष्य की यात्रा परमात्मा तक है
संसार में जो कुछ भी हो रहा है
वह सब ईश्वरीय विधान है
हम और आप तो केवल निमित्त मात्र है
इसीलिये कभी भी ये भ्रम न पालें कि मैं
न होता तो क्या होता!