“बर्दाश्त” और “ख़ामोशी” दोनो ताक़त है
बर्दाश्त आपको “दिमागी” तौर पर मजबूत
बनाती है। और ख़ामोशी आपको “जज़्बाती”
तौर पर मजबूत बनाती है
“बर्दाश्त” और “ख़ामोशी” दोनो ताक़त है
बर्दाश्त आपको “दिमागी” तौर पर मजबूत
बनाती है। और ख़ामोशी आपको “जज़्बाती”
तौर पर मजबूत बनाती है